000 | 03255nam a22001457a 4500 | ||
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999 |
_c1656 _d1656 |
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020 | _a9788126716623 | ||
082 |
_a891 _bPRI |
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100 | _aPriyamvada, Usha | ||
245 | _aPachpan Khambhe Laal Deewarein | ||
250 | _a3rd ed. | ||
260 |
_aNew Delhi _bRajkamal _c2018 |
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300 | _a156p. | ||
500 | _aउषा प्रियम्वदा की गणना हिन्दी के उन कथाकारों में होती है जिन्होंने आधुनिक जीवन की ऊब, छटपटाहट, संत्रास और अकेलेपन की स्थिति को अनुभूति के स्तर पर पहचाना और व्यक्त किया है। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में एक ओर आधुनिकता का प्रबल स्वर मिलता है तो दूसरी ओर उनमें चित्रित प्रसंगों तथा संवेदनाओं के साथ हर वर्ग का पाठक तादात्म्य का अनुभव करता है; यहाँ तक कि पुराने संस्कारवाले पाठकों को भी किसी तरह के अटपटेपन का एहसास नहीं होता। पचपन खम्भे लाल दीवारें उषा प्रियम्वदा का पहला उपन्यास है, जिसमें एक भारतीय नारी की सामाजिक-आर्थिक विवशताओं से जन्मी मानसिक यंत्रणा का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है। छात्रावास के पचपन खम्भे और लाल दीवारें उन परिस्थितियों के प्रतीक हैं जिनमें रहकर सुषमा को ऊब तथा घुटन का तीखा एहसास होता है, लेकिन फिर भी वह उनसे मुक्त नहीं हो पाती, शायद होना नहीं चाहती। उन परिस्थितियों के बीच जीना ही उसकी नियति है। आधुनिक जीवन की यह एक बड़ी विडम्बना है कि जो हम नहीं चाहते, वही करने को विवश हैं। लेखिका ने इस स्थिति को बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रस्तुत उपन्यास में चित्रित किया है।. Publisher : Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd Language : Hindi Hardcover : 156 pages ISBN-10 : 8126716622 ISBN-13 : 978-8126716623 Item Weight : 717 g Dimensions : 20 x 14 x 4 cm Country of Origin : India Importer : Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd, New Delhi Packer : Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd Generic Name : Book | ||
942 | _cBK |